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Wednesday, November 17, 2010

भीगी हुई शाम

यह भीगी हुई  शाम ,
और  तेरे शहर का  भटकता बादल
किस  सोच  में  खो  गयी  दिल  की  दुनिया ,
आने लगी याद  तेरी ,
और  ना  जाने
क्या - क्या  याद  आने  लगा
बीता  हुआ ,
इस  भटकते  बादल ने 
भींगें  मौसम  में
दर्द  की   आग  फैलाने  लगा  !

//राणा //

Saturday, October 9, 2010

जब ना तुम होगी



ना तुम होगी, ना तेरा आसरा  होगा 
अल्लाह ! आने वाले दिन में न जाने क्या-क्या होगा !


सब भूल जाते है साथ में गुजारें लम्हें  एक दिन,
वक़्त बदलेगा तो सब कुछ कितना बदल चुका होगा !

सफ़र में नए मोड़ पर कोई मिल जाएगा ही " राणा"
दिल जो मोम का हैं, लोहे में तबतक ढल चुका होगा !!
© सर्वाधिकार सुरक्षित - राणा नवीन
  

Thursday, October 7, 2010

नजर

तुम नजर झुकाने मे लगे थें, तुमने सोचा ही नही ...
ये अश्क जो गिर गये अगर तो, एक मसला हो जायेगा !!


(c) राना नवीन 

Friday, September 17, 2010

रिश्ते


सच को बयां करें वह आईना ना मिला
खुद जैसा मुझे कोई अजनबी ना मिला !

अजीब है ये रिश्तो की कश्मोकश की डोरी
तमाम उम्र साथ रहा और मुझसे कभी ना मिला !

अजनबी शहर हैं दिल्ली,यहाँ का आलम देखिये
लोगो ने हाथ मिला ली, पर दिल ना मिला !

इश बहार में यह बाग़ को देखो
हर पेड़ हरा है , कोई पत्ता हरा ना मिला !

 ये खुदा तेरे इश जहाँ में "राणा"
एक आरजू की और मुझे वह ना मिला !

© सर्वाधिकार सुरक्षित - राणा नवीन

Thursday, September 2, 2010


पारदर्शी आसमां कुछ पास आ ,

अम्रूत जल का मीठा राग बरसा ,

इस नश्वर जिवन से, मुक्ति का मार्ग बता 

एक बार अनंत को पा ले ,ऐसी मन में विश्वास जगा ,

पारदर्शी आसमां कुछ पास आ !!! 


© सर्वाधिकार सुरक्षित - राणा नवीन


Sunday, July 18, 2010

एक ख्याब, एक प्यार









ज़ब खिलते हैं एक ख्याब, एक प्यार .......
 जलते भि है...ख़ालीपन से भरा आसमान.....

© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन

Saturday, March 27, 2010

मोहब्बत



तुमसे मोहब्बत में मैंने ज़िन्दगी गवाई है
आँशु, यादें और जुदाई ज़िन्दगी की कमाई हैं!!

हर पल हर लम्हा बेबश है ये दिल
हर पल दस्ती रहती ये तन्हाई हैं !!

तुमसे बिछड़ कर भी जिंदा हूँ
मेरे साथ बीत गयी एक कहानी, जो तुम्हें सुनाई हैं !!

हर समय, हर एक रूप में तुम मेरी हों
कैसे कह दूं की ,तुम जान नहीं हरजाई हैं !!

साथ अगर तुम देती मंजिल तक "राणा"
फिर क्यूँ होती, जो आग ये रुसवाई हैं !!



© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन 

Saturday, March 20, 2010

भुलाया

तेरी यादों का महल बनाया हमने,
अश्कों से चिराग  जलाया हमने ,
भूलनेवाले तुझे रब दा वास्ता
कोई ओ लम्हा बता- जिसमे तुझे भुलाया हमने !

Sunday, March 7, 2010

गर्भपात

मेरी कुंआरी अपेक्षाओं का
जब तेरे अस्तित्व से 
समागम हुआ था, तो 
एक विचित्र सी
हलचल - एक सिहरन 
दौड गयी
मेरे समस्त शरीर में
धीरे-धीरे यह सिहरन 
एक रूप धारण करने लगी !
मगर -अचानक
तुम्हारा अस्तित्व छूट गया
मेरे हाथों में से रेत की तरह !
मेरे गर्भ मे पलने वाली
आकांक्षा , अचानक 
एक पाप का रूप 
धारण कर गई
किसी पिता के अभाव में ! 
कुछ दिन स्त्ब्ध रह कर 
उस आकांक्षा से मुक्ति पाने हेतु 
मैंने गर्भपात करवा लिया
और अब एक बार फिर 
'कुंआरी' बन गई हूँ,
किसी विधिवत समागम हेतु ! 
 

© सर्वाधिकार सुरक्षित -राजीव शर्मा( मेरे साथ कार्यरत ) 

Thursday, February 25, 2010

यूँ तुम आया ना करो

यूँ तुम आया ना करो
हमको सताया ना करो
यूँ दिल को जलाया ना करो
कहना जो चाहे अपनी
तुम अपनी सुनाया ना करो !!
सफर मे साथ तो दोगी हमसफर मेरी
बीच रह्गुजर मे हाथ छुडाया ना करो,
करती हो तुम भी मोहब्बत मुझसे से
भीड मे यूँ बताया ना करो
रखो शर्म का पर्दा हमेशा,मुझसे
यूँ चेहरे से घूँघट हटाया न करो !!
कुछ मजबुरीया मेरी भी, कुछ तेरी भी
किस्मत का दोस बताया ना करो !
करना जो चाहो शिकवा हम से
लव अपने हीलाया ना करो !
आँखो ही आँखो मे इजहार कर दो
भडी महफील मे चिख के बताया ना करो !
रखना हमेशा हम पे यकी,
हरबार हमको यूँ आजमाया न करो !
दिखा देगा जान देकर राणा
 यूँ मुझको बेवफा बताया ना करो !
© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन  

Monday, February 22, 2010

मन

कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है
शब्दों के ताने बाने से
एक जाल सा बुनता है !
तुमको पाने की आस लगाये
गुमसुम- गुमसुम रहता है ।।

शब्द हुये मूक कुछ ऐसे
दिन में सूरज पिघलता है। 
कभी खुशी में तो कभी गम में
नयनों से सावन बरसता है ।।
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है ।। 

दो प्रेमी के मिलने को

आलिंगन में बंधने को
अधरो से अधर मिलना है
एक नया उपवन खिलना है
मन जीवन संजोता है
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है!

 कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है
शब्दों के ताने बाने से
एक जाल सा बुनता है !
तुमको पाने की आस लगाये
गुमसुम- गुमसुम रहता है ।।

© सर्वाधिकार सुरक्षित -राणा नवीन 

Saturday, February 20, 2010

हम












मुझे ठीक़ –ठीक़ याद नही
मै तुमसे कब मिला था
वह हमारा प्रथम मिलन
जिसमे मै और तुम
दोनो मिलकर
हो गये थे हम!!

कहना कठिन है
वह पहले प्रेम का एह्साश
नामुमकिन तो नही
कठिन जरूर है, याद करना
कितने साल हो गये
हम बने हुये !( मै और तुम मिलकर )

हा, मगर यह याद है
कुछ ही दिन गुजरे है
हम फिर से
बन गये है मै और तुम !!
मै भी उदास नही
तुम भी उदास मत होना
बस प्रतीक्ष।  करना, विश्वास रखना
एक सच्चे प्यार के मौसम का
मै और तुम,
से हम होने तक !!

सच्चे प्यार पर चलते हुये
परीक्ष और प्रतीक्ष
कभी न मिल पाने की घबराहट
और वियोग से
दिखता है एक अलग रास्ता
इस पर चलते हुय
कही न कही
सचमुच ही
मै और तुम
मिलकर हो जायेगे हम !!
 © सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन 

माँ

माँ एक विश्वास है
माँ एक एह्सास है
जीवन को उज्ज्वल कर दें
माँ वह लौ है
माँ वह प्रकाश है! 
© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन 

Friday, February 19, 2010

मासूम सी तेरी याद













झिलमील-2 तारो से
जगमग है एक रात
इन रातों में आ जाती है,
अचानक
मासूम सी तेरी याद !!
बीतें लम्हों से
धुन्धली सी
जैसे पडी तस्विर
कभी गिरती, कभी उठती
सर्द हवाओं के स्पश्र जैसी
मासूम सी तेरी याद !!
कभी जाडे की धुप सी गुनगुनी
जैसे तुम्हारे स्पर्श से
महकती ,सिसकती, शर्मायी
नवेली दुलहन के जैसे
छलक जाती है
मासूम सी तेरी याद !!
नश्वर है यह वक़्त
सहशा पीछे मुडकर
नही जाया जा सकता
यह हमने भि जाना है,
फिर भि बहुत व्याकुल है मन
आकुलाता है यह छण
और
इनके सब के बीच
अचानक
मासूम सी तेरी याद !!
अब तो बस,
तेरे बीन रहना है
अकेले- अकेले ही
सफर तय करना है
अब मेरा है
यह एकाकी जीवन
और
इनमें बसी
मासूम सी तेरी याद !!
© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन 

अंतर

अंतर

अक्सर सोचता हूँ
पहले से दूसरे प्यार
के बीच के अंतर को !
क्या कुछ है,
पहले प्यार जैसा !
नही शायद,
दूसरा प्यार पूरक है
पहले प्यार का !
या, छल है पहले प्यार से
या, कृतग्यता है,
पहले प्यार के खोने पर,
सहारा देने का !!
© राणा नवीन