कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है
शब्दों के ताने बाने से
एक जाल सा बुनता है !
तुमको पाने की आस लगाये
गुमसुम- गुमसुम रहता है ।।
शब्द हुये मूक कुछ ऐसे
दिन में सूरज पिघलता है।
कभी खुशी में तो कभी गम में
नयनों से सावन बरसता है ।।
नयनों से सावन बरसता है ।।
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है ।। दो प्रेमी के मिलने को
आलिंगन में बंधने को
अधरो से अधर मिलना है
एक नया उपवन खिलना है
मन जीवन संजोता है
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है!
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है
शब्दों के ताने बाने से
एक जाल सा बुनता है !
तुमको पाने की आस लगाये
गुमसुम- गुमसुम रहता है ।।© सर्वाधिकार सुरक्षित -राणा नवीन
1 comment:
वाह ! एक सुन्दर बात.... धन्यबाद राणा जी ..
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