और तेरे शहर का भटकता बादल
किस सोच में खो गयी दिल की दुनिया ,
आने लगी याद तेरी ,
और ना जाने
क्या - क्या याद आने लगा
बीता हुआ ,
इस भटकते बादल ने
भींगें मौसम में
दर्द की आग फैलाने लगा !
//राणा //
“मै एक कविता ऐसी भाषा मे जिसे न कभी लिखा गया और न कभी लिखा जायेगा! मै एक कविता अर्थहीन,श्याम –श्वेत तथा मौन । ” (c)-राना नवीन
2 comments:
सुन्दर!
खासकर ये पंक्ति :
भींगें मौसम में
दर्द की आग फैलाने लगा !
धन्यवाद पंकज जी ... आभार
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