तेरी यादों का महल बनाया हमने,
अश्कों से चिराग जलाया हमने ,
भूलनेवाले तुझे रब दा वास्ता
कोई ओ लम्हा बता- जिसमे तुझे भुलाया हमने !
“मै एक कविता ऐसी भाषा मे जिसे न कभी लिखा गया और न कभी लिखा जायेगा! मै एक कविता अर्थहीन,श्याम –श्वेत तथा मौन । ” (c)-राना नवीन
2 comments:
wah----ek bahut hi khoobsurat gazal apane me dard ko saete hue.
धन्यावाद झरोखा जी,
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