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Thursday, February 25, 2010

यूँ तुम आया ना करो

यूँ तुम आया ना करो
हमको सताया ना करो
यूँ दिल को जलाया ना करो
कहना जो चाहे अपनी
तुम अपनी सुनाया ना करो !!
सफर मे साथ तो दोगी हमसफर मेरी
बीच रह्गुजर मे हाथ छुडाया ना करो,
करती हो तुम भी मोहब्बत मुझसे से
भीड मे यूँ बताया ना करो
रखो शर्म का पर्दा हमेशा,मुझसे
यूँ चेहरे से घूँघट हटाया न करो !!
कुछ मजबुरीया मेरी भी, कुछ तेरी भी
किस्मत का दोस बताया ना करो !
करना जो चाहो शिकवा हम से
लव अपने हीलाया ना करो !
आँखो ही आँखो मे इजहार कर दो
भडी महफील मे चिख के बताया ना करो !
रखना हमेशा हम पे यकी,
हरबार हमको यूँ आजमाया न करो !
दिखा देगा जान देकर राणा
 यूँ मुझको बेवफा बताया ना करो !
© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन  

3 comments:

रानीविशाल said...

Acchi Shuruaat...Shubhkaamanae!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

एक कविता अर्थहीन ,श्याम – शवेत तथा मौन । said...

शुक्रिया रानी जी और उडान जी !