मुझे ठीक़ –ठीक़ याद नही
मै तुमसे कब मिला था
वह हमारा प्रथम मिलन
जिसमे मै और तुम
दोनो मिलकर
हो गये थे “ हम”!!
कहना कठिन है
वह पहले प्रेम का एह्साश
नामुमकिन तो नही
कठिन जरूर है, याद करना
कितने साल हो गये
हम बने हुये !( मै और तुम मिलकर )
हा, मगर यह याद है
कुछ ही दिन गुजरे है
हम फिर से
बन गये है मै और तुम !!
मै भी उदास नही
तुम भी उदास मत होना
बस प्रतीक्ष। करना, विश्वास रखना
एक सच्चे प्यार के मौसम का
मै और तुम,
से हम होने तक !!
सच्चे प्यार पर चलते हुये
परीक्ष और प्रतीक्ष
कभी न मिल पाने की घबराहट
और वियोग से
दिखता है एक अलग रास्ता
इस पर चलते हुय
कही न कही
सचमुच ही
मै और तुम
मिलकर हो जायेगे “ हम” !!
2 comments:
बहुत खूबसूरत प्रेम कविता-----शुभकामनायें।
very nice poem dude..is it really written by u..? super yaar...keep it up..
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