Sunday, July 18, 2010
एक ख्याब, एक प्यार
ज़ब खिलते हैं एक ख्याब, एक प्यार .......
जलते भि है...ख़ालीपन से भरा आसमान.....
© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन
Saturday, March 27, 2010
मोहब्बत
तुमसे मोहब्बत में मैंने ज़िन्दगी गवाई है
आँशु, यादें और जुदाई ज़िन्दगी की कमाई हैं!!
हर पल हर लम्हा बेबश है ये दिल
हर पल दस्ती रहती ये तन्हाई हैं !!
तुमसे बिछड़ कर भी जिंदा हूँ
मेरे साथ बीत गयी एक कहानी, जो तुम्हें सुनाई हैं !!
हर समय, हर एक रूप में तुम मेरी हों
कैसे कह दूं की ,तुम जान नहीं हरजाई हैं !!
साथ अगर तुम देती मंजिल तक "राणा"
फिर क्यूँ होती, जो आग ये रुसवाई हैं !!
© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन
Saturday, March 20, 2010
भुलाया
तेरी यादों का महल बनाया हमने,
अश्कों से चिराग जलाया हमने ,
भूलनेवाले तुझे रब दा वास्ता
कोई ओ लम्हा बता- जिसमे तुझे भुलाया हमने !
अश्कों से चिराग जलाया हमने ,
भूलनेवाले तुझे रब दा वास्ता
कोई ओ लम्हा बता- जिसमे तुझे भुलाया हमने !
Sunday, March 7, 2010
गर्भपात
मेरी कुंआरी अपेक्षाओं का
जब तेरे अस्तित्व से
समागम हुआ था, तो
एक विचित्र सी
हलचल - एक सिहरन
दौड गयी
मेरे समस्त शरीर में
धीरे-धीरे यह सिहरन
एक रूप धारण करने लगी !
मगर -अचानक
तुम्हारा अस्तित्व छूट गया
मेरे हाथों में से रेत की तरह !
मेरे गर्भ मे पलने वाली
आकांक्षा , अचानक
एक पाप का रूप
धारण कर गई
किसी पिता के अभाव में !
कुछ दिन स्त्ब्ध रह कर
उस आकांक्षा से मुक्ति पाने हेतु
मैंने गर्भपात करवा लिया
और अब एक बार फिर
'कुंआरी' बन गई हूँ,
किसी विधिवत समागम हेतु !
जब तेरे अस्तित्व से
समागम हुआ था, तो
एक विचित्र सी
हलचल - एक सिहरन
दौड गयी
मेरे समस्त शरीर में
धीरे-धीरे यह सिहरन
एक रूप धारण करने लगी !
मगर -अचानक
तुम्हारा अस्तित्व छूट गया
मेरे हाथों में से रेत की तरह !
मेरे गर्भ मे पलने वाली
आकांक्षा , अचानक
एक पाप का रूप
धारण कर गई
किसी पिता के अभाव में !
कुछ दिन स्त्ब्ध रह कर
उस आकांक्षा से मुक्ति पाने हेतु
मैंने गर्भपात करवा लिया
और अब एक बार फिर
'कुंआरी' बन गई हूँ,
किसी विधिवत समागम हेतु !
© सर्वाधिकार सुरक्षित -राजीव शर्मा( मेरे साथ कार्यरत )
Thursday, February 25, 2010
यूँ तुम आया ना करो
यूँ तुम आया ना करो
हमको सताया ना करो
यूँ दिल को जलाया ना करो
कहना जो चाहे अपनी
तुम अपनी सुनाया ना करो !!
सफर मे साथ तो दोगी हमसफर मेरी
बीच रह्गुजर मे हाथ छुडाया ना करो,
करती हो तुम भी मोहब्बत मुझसे से
भीड मे यूँ बताया ना करो
रखो शर्म का पर्दा हमेशा,मुझसे
यूँ चेहरे से घूँघट हटाया न करो !!
कुछ मजबुरीया मेरी भी, कुछ तेरी भी
किस्मत का दोस बताया ना करो !
करना जो चाहो शिकवा हम से
लव अपने हीलाया ना करो !
आँखो ही आँखो मे इजहार कर दो
भडी महफील मे चिख के बताया ना करो !
रखना हमेशा हम पे यकी,
हरबार हमको यूँ आजमाया न करो !
दिखा देगा जान देकर “राणा”
यूँ मुझको बेवफा बताया ना करो !
© सर्वाधिकार सुरक्षित-राणा नवीन
Monday, February 22, 2010
मन
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है
शब्दों के ताने बाने से
एक जाल सा बुनता है !
तुमको पाने की आस लगाये
गुमसुम- गुमसुम रहता है ।।
शब्द हुये मूक कुछ ऐसे
दिन में सूरज पिघलता है।
कभी खुशी में तो कभी गम में
नयनों से सावन बरसता है ।।
नयनों से सावन बरसता है ।।
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है ।। दो प्रेमी के मिलने को
आलिंगन में बंधने को
अधरो से अधर मिलना है
एक नया उपवन खिलना है
मन जीवन संजोता है
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है!
कवि मन है मेरा
कविताये हमेशा रचता है
शब्दों के ताने बाने से
एक जाल सा बुनता है !
तुमको पाने की आस लगाये
गुमसुम- गुमसुम रहता है ।।© सर्वाधिकार सुरक्षित -राणा नवीन
Saturday, February 20, 2010
हम
मुझे ठीक़ –ठीक़ याद नही
मै तुमसे कब मिला था
वह हमारा प्रथम मिलन
जिसमे मै और तुम
दोनो मिलकर
हो गये थे “ हम”!!
कहना कठिन है
वह पहले प्रेम का एह्साश
नामुमकिन तो नही
कठिन जरूर है, याद करना
कितने साल हो गये
हम बने हुये !( मै और तुम मिलकर )
हा, मगर यह याद है
कुछ ही दिन गुजरे है
हम फिर से
बन गये है मै और तुम !!
मै भी उदास नही
तुम भी उदास मत होना
बस प्रतीक्ष। करना, विश्वास रखना
एक सच्चे प्यार के मौसम का
मै और तुम,
से हम होने तक !!
सच्चे प्यार पर चलते हुये
परीक्ष और प्रतीक्ष
कभी न मिल पाने की घबराहट
और वियोग से
दिखता है एक अलग रास्ता
इस पर चलते हुय
कही न कही
सचमुच ही
मै और तुम
मिलकर हो जायेगे “ हम” !!