यह भीगी हुई शाम , और तेरे शहर का भटकता बादल
किस सोच में खो गयी दिल की दुनिया ,
आने लगी याद तेरी ,
और ना जाने
क्या - क्या याद आने लगा
बीता हुआ ,
इस भटकते बादल ने
भींगें मौसम में
दर्द की आग फैलाने लगा ! //राणा //
20 दिसम्बर को बिहार के मुज़फ्फरपुर जिले में जन्मा,पला बढा तथा शिक्षा ग्रहण किया !
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ़ कंप्यूटर एप्लिकेशन्स।
वर्त्तमान में दिल्ली में पंजाब नैशनल बैंक में प्रबधक ( आई. टी ) के रूप में कार्यरत ।पिछले कई वर्षों से दिल्ली मे!
मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। जब कभी मैं दिल के गहराई में कुछ महसूस करता हूँ तो उसे कविता के रूप में पिरो देता हूँ। बचपन से अपने भावनाओं और विचारों को अक्सर कविता में ढालने की कोशिश करता हूँ।
“मै एक कविता एक ऐसी भाषा मे
जिसे न कभी लिखा गया
और न कभी लिखा जायेगा
एक कविता
अर्थहीन,श्याम–शवेत तथा मौन । ”
-राना नवीन सिंह
(c) राना नवीन